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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 31



अंजली जो की अभी भी अस्पताल में थी, कहने को वो ठीक हो गयी थी  और डॉक्टर ने उसे घर जाने का भी कह दिया था , और दुर्जन भी उसे घर ले जाना चाहता था ।

परन्तु अंजली चाहती थी की वो घर तब ही जाएगी जब उसे इंसाफ मिल जाएगा और वो बेगुनाह साबित हो जाएगी, जब तक उस के ऊपर लगा दाग नही मिट जाएगा तब तक वो घर नही जाएगी।


ये सुन उसके पिता भी मान गए, वो भी चाहते थे की अंजली पहले वाली अंजली बन कर उस घर में आये  और वैसे भी आज  की आखिरी रात थी कल सच्चाई सब को पता चल जाएगी, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।



दुर्जन अंजली के पास बैठा उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोला " बेटा बस आज की रात और तू इस अस्पताल में गुज़ार कल को तू पूरे आत्म सम्मान के साथ अपने घर वापस जाएगी उसके बाद हम लोग ये गांव छोड़  कर शहर चले जाएंगे, और मैं वहा तेरा इलाज करवाऊंगा देखना  तू बिलकुल ठीक हो जाएगी ईश्वर ने चाहा तो "


"अगर मेरा चेहरा नही सही हुआ तो पिता जी, अगर जैसा हम सोच रहे है वैसा ना हुआ, ना जाने क्यू मेरा मन घबरा रहा है  चारो और इतनी ख़ामोशी है  मानो किसी बड़े तूफान के आने की तैयारी हो " अंजली ने कहा


"नही बेटा अब दुख भरे दिन ख़त्म हुए, तूने इतनी तकलीफ जो उठायी है  इसलिए  ऐसा लग रहा है  ईश्वर पर भरोसा रख सब ठीक हो जाएगा, चल अब दवाई खा और सोजा और हिम्मत रख  कल एक बहुत बड़ा दिन है " दुर्जन ने कहा और उसे दवाई खिला कर तकये पर सर रख कर उसे लेटा दिया और खुद  भी वही एक कोने में लेट गया।


अंजली जिसकी आँखों से आंसू बह रहे थे , वो डर रही थी  उसका मन अंदर ही अंदर घबरा रहा था  उसे इस बात का भी डर था की वो अपना ये जला हुआ चेहरा लेकर कल गांव वालो का उस भरी पंचायत में कैसे सबका सामना करेगी , जब सब लोग उसे देख डर जाएंगेइसी तरह के विचार उसके मन में आ रहे थे । और वो सौ गयी ।



तभी अचानक  चारो और धुआँ सा उठने लगा , एक लड़की जो तन्हा बैठी रो रही थी एक पेड़ के नीचे उसके आस पास कोई नही था  चारो और सिर्फ खायी थी  और सन्नाटा पसरा हुआ था , मानो वो लड़की वहा फस गयी हो और अब वहा बैठ कर रो रही थी  और मौत का इंतज़ार कर रही  थी ।


तभी अचानक उस धुएँ से निकल कर एक अक्स उसके नज़दीक आया और बोला " अंजली मेरी बेटी रो मत देखो तुमसे मिलने तुम्हारी माँ आयी है  "

उस पेड़ के नीचे बैठी अंजली ने जब अपना सर उठाया उस आवाज़ को सुन कर तो सामने अपनी माँ को देख  बोली " माँ तुम आ गयी मैं जानती थी  तुम आओगी , माँ मुझे यहाँ से ले चलो ये दुनिया बहुत बुरी है  "


"बेटा मैं तुझे अपने साथ नही ले जा सकती, बेटा तू हिम्मत मत हारना तुझे अभी बहुत लम्बा सफऱ तय करना है , तेरे इस सफऱ में बहुत सारे कांटे आएंगे पर मेरी बेटी तू उन्हें पार करती जाना एक दिन तू अपनी पहचान बना लेगी," उस अक्स ने कहा


"माँ मैं थक गयी हूँ, मुझे अपने साथ ले चलो नही जानती कल क्या होगा " अंजली ने कहा रोते हुए


नही मेरी प्यारी बेटी तुझे बहादुरी के साथ इस ज़ालिम दुनियां का सामना करना है  उन्हें दिखाना है  भले  ही उन्होंने तेरे चेहरे को झुलसा दिया है अपने अहंकार में आकर लेकिन तेरे हौसले वो चाह कर भी नही झुलसा सकते बेटा अभी तो तुझे इन जालिमो को सजा दिलानी है बेटा मैं जा रही हूँ लेकिन मैं हर दम तेरे पास हूँ ये कह कर वो अक्स अंजली से दूर जाता रहा


मत जाओ माँ, मुझे इस बेरहम दुनियां में अकेला छोड़ कर, ये बहुत ज़ालिम दुनियां है मैं कैसे अपने इस बदसूरत चेहरे से दुनियां का सामना करूंगी मुझे अपने साथ ले चलो, ले चलो माँ मुझे नही जीना तुम बिन।


ये कहती हुयी अंजली घबरा कर उठी तो देखा चारो और सन्नाटा पसरा हुआ था और उसके पिता वही एक कोने में सौ रहा था।


अंजली समझ गयी थी की उसने सपना देखा था उसका हलक सूख चुका था उसने पास रखे जग से पानी लोट कर अपने सूखे गले को गीला किया, वो पसीने में नहा चुकी थी उसने दोबारा सोने की कोशिश की और अपनी आँखे बंद कर ली लेकिन उसे नींद नही आ रही थी इसलिए वो उठी और खिड़की के पास आकर बैठ गयी और बाहर आकाश में खिले तारों में से एक तारे को देख कर बोली " माँ तुम क्यू चली गयी मुझे छोड़ कर इतनी जल्दी, माँ मैं बहुत अकेली हूँ पिताजी भी बेहद उदास है मेरी वजह से, माँ काश की तुम मेरे पास होती आखिर क्यू आपको भगवान ने इतनी जल्दी अपने पास बुला लिया आखिर उन्हें मुझे पर तरस नही आया था कि ये बच्ची कैसे रहेगी बिन माँ के  अंजली ने खूब सारी बातें की आज रात कुछ ज्यादा ही खामोश थी, चारो और सिर्फ सन्नाटा ही सन्नाटा था मानो किसी तूफान के आने का इंतज़ार कर रही हो।


अंजली बहुत देर वहा बैठी अपनी माँ से बात करती रही और नीचे लेटे अपने पिता को देखती रही उसकी आँखों में सिर्फ और सिर्फ आंसू थे पल भर में क्या से क्या हो गया था उसके साथ यही सोच रही थी और कह रही थी की काश की वो उस रात मंजू की बात मान लेती तो आज ये दिन नही देखना पड़ता जिसके खातिर वो आज इस हाल में जिस मोहब्बत के खातिर वो उस रात उससे मिलने गयी थी उसी ने आकर उससे एक बार भी नही पूछा की वो ज़िंदा है या मर गयी। मर्द ज़ालिम बहुत ज़ालिम होते है एक ने मेरे चेहरा जला दिया तो दूसरे ने मेरे प्यार भरे दिल को ही जलने के लिए छोड़ दिया।


अंजली की आँखों से आंसू बह रहे थे वो चाह कर भी उन्हें रोक नही पा रही थी। थक हार कर वो आकर लेट गयी और उसकी आँख लग गयी।


अगली सुबह, फैसले का दिन था आज असली गुनेहगार सजा का हगदार बनता तो वही अंजली भी बेगुनाह साबित हो जाती।


अंजली को देखने डॉक्टर आया  उसका चेक अप किया और बताया की वो अब बिलकुल ठीक है , अब वो घर जा सकती है।

डॉक्टर के जाने के बाद, दुर्जन सिंह घर से कुछ कपडे लाया, अंजली ने नहा धोकर वो कपडे पहन लिए , उसका मन घबरा रहा था , उसे एक अजीब सा डर सता रहा था ।


वो अपने पिता की गोदी में सर रख कर लेट गयी और बोली " पिताजी मुझे गांव वालो का सामना नही करना मुझे डर लग रहा है , आप मुझे यहाँ से कही दूर ले जाइये जहाँ मैं और आप रह सके  इस गांव और इस गांव के लोगो से दूर, जो हुआ सौ हुआ मुझे कोई इंसाफ नही चाहिए, जो होना था मेरे साथ हो गया, यही मेरी किस्मत में लिखा था अब मैं खुद  को और आपको तकलीफ नही देना चाहती  चलिए यहाँ से भाग चलते है , दुनियां जो सोचती है  सोचने दीजिये आप और हम जानते ही है  की मैं गलत नही हूँ इतना तो भरोसा है ना आपको अपनी बेटी पर "


"बेटा मुझे खुद से ज्यादा तुझ पर भरोसा है , मैं भी तुझे उस पंचायत में ले जाना नही चाहता जहाँ जाकर तुझे वो सब दर्द और तकलीफे याद आ जाएंगी जो तूने सही है , लेकिन मेरी बेटी अगर हम लोग छुप कर यहाँ से भाग गए  तो सब लोग तुम्हे ही गुनेहगार समझें गे, और जो गुनेहगार है  वो बच जाएगा और किसी और को अपना शिकार बनाने  की तैयारी करेगा , और तो और स्पेक्टर सतवीर की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी जो उन्होंने तुझे इंसाफ दिलाने के लिए की है , तू जानती नही है  उन्होंने तेरे खातिर  शेर की मांद में हाथ डाला है , अब हमारा पीछे हटना सही नही होगा उस रात की सच्चाई सब के सामने आकर रहेगी, अगर हमने ही हार मान ली तो फिर कोई भी सतवीर किसी भी बेगुनाह को इंसाफ दिलाने के लिए आगे नही आएगा, मैं मानता हूँ तेरे लिए उन सब का सामना करना आसान नही लेकिन बेटा बस आख़री बार और हिम्मत दिखा,उसके बाद सब ठीक हो जाएगा तू भी गांव वालो की नज़रो में बेगुनाह साबित हो जाएगी और गुनेहगार को सजा मिल जाएगी चल अब उठ  चलना है हमें और हाँ ईश्वर में भरोसा रख सब कुछ ठीक हो जाएगा, तू एक बहादुर लड़की है  " अंजली के पिता ने उसे समझाते हुए कहा


अंजली अपने पिता के गले लग कर बेहद रोई मानो वो उनके आख़री बार गले लग रही हो उसने अपने पिता का यहाँ तक साथ देने के लिए  शुक्रिया कहा और उनके साथ चलने को तैयार हो गयी ।


अर्जुन को भी जैल से निकाल कर हाथ में हाथकड़ी डाल कर ले जाने के लिए दरोगा  आ चुका था ।


अर्जुन बेहद गुस्से में था  और बोला " ये सब याद रखा जाएगा देखना जिस तरह मेरे हाथ में हथ कड़ी डाल रहे हो जब छूट जाऊंगा बेगुनाह साबित होकर तब तुम लोग अपनी खेर मनाना अभी तो तुम लोग भी बेहद उछल रहे हो उस थानेदार पर  लेकिन पासा पलट ते देर नही लगती ये बात याद रखना तुम सब "


अर्जुन को भरी पंचायत के बीचो बीच लाया गया, उसके पिता और माँ भी वहा मौजूद थे , उसकी माँ अपने बेटे को इस हालत में देख  रो रही थी बहुत  और कह रही थी मेरे बेटा बेगुनाह है  उसे छोड़ दो वरना तुम सब मारे जाओगे।

चरण सिंह ने उसे चुप कराया , वहा कमलेश और सतवीर भी मौजूद थे , सतवीर कमलेश  को देख  रहा था ।

चारो और ख़ामोशी ही ख़ामोशी पसरी  हुयी थी ।


आगे क्या होगा, क्या अंजली और उसके पिता वहा आएंगे या नही जानने के लिए पढ़िए अगला भाग  

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7 Comments

Pankaj Pandey

22-Aug-2022 03:02 PM

Nice

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shweta soni

22-Aug-2022 09:52 AM

बेहतरीन रचना

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Seema Priyadarshini sahay

22-Aug-2022 08:37 AM

बहुत खूबसूरत

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